पीएम के दौरे से आदि कैलाश और जागेश्वर में धार्मिक पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दौरा आदि कैलाश धाम को अंतरराष्ट्रीय ख्याति दिलाएगा। प्रधानमंत्री 11-12 अक्टूबर को सीमांत जनपद पिथौरागढ़ और चंपावत जिले के दौरे पर पहुंच रहे हैं। सीमांत क्षेत्र में पहली बार किसी प्रधानमंत्री का कार्यक्रम प्रस्तावित होने से स्थानीय जनता में भारी उत्साह है। क्षेत्रवासियों और पार्टी स्तर से प्रधानमंत्री के स्वागत की जोरदार तैयारियां की गई हैं।

दो दिवसीय दौरे में प्रधानमंत्री का 12 अक्टूबर को आदि कैलाश और ओम पर्वत दर्शन का कार्यक्रम प्रस्तावित है। प्रधानमंत्री 6000 मीटर से अधिक ऊंचाई पर स्थित ज्योलिंकांग पहुंचकर आदि कैलाश के दर्शन कर पूरी दुनिया को भारत की आध्यात्मिक शक्ति का संदेश देंगे। इससे आदि कैलाश धाम को पूरे विश्व में नई पहचान मिलेगी। अभी आदि कैलाश की डगर कठिन है। यात्रियों को करीब 105 किलोमीटर की दूरी पैदल तय करने में 14-15 दिन लग जाते हैं, लेकिन अगले डेढ़ वर्षों में आदि कैलाश दर्शनार्थियों की राह आसान हो जाएगी। धाम के लिए हाटमिक्स सड़क बनाई जा रही है।

भगवान शिव का परिवार निवास करता है यहां

वेद पुराणों में आदि कैलाश का महात्म्य कैलाश मानसरोवर के समान ही बताया गया है। ऋषि मुनियों और तपस्वियों की यह आध्यात्मिक स्थली रही है। मान्यता है कि भगवान शिव माता पार्वती, भगवान गणेश और भगवान कार्तिकेय के साथ यहां निवास करते हैं।

नारायण आश्रम की भी होगी ख्याति

पिथौरागढ़ जिले की चौदास घाटी में स्थित नारायण आश्रम में भी प्रधानमंत्री का आगमन हो सकता है। वर्ष 1935 में कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर आए कर्नाटक के संत नारायण स्वामी ने एक वर्ष बाद इस आश्रम की स्थापना की थी। आश्रम में एक कुटिया बनाई गई है। बताया गया है कि इस कुटिया में स्वामी ध्यान लगाते थे। प्रधानमंत्री के यहां आगमन से जहां आश्रम को नई पहचान मिलेगी, वहीं सनातन संस्कृति को बढ़ावा देने की दिशा में यह बड़ा कदम होगा।

शांति और सुकून के लिए मायावती आश्रम आते हैं साधक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रात्रि विश्राम के लिए मायावती आश्रम पहुंच सकते हैं। चंपावत जिले में लोहाघाट से करीब 9 किमी की दूरी पर स्थित मायावती आश्रम की स्थापना स्वामी विवेकानंद जी की प्रेरणा पर की गई थी। यहां शांति और सुकून के लिए साधक पहुंचते हैं। प्रधानमंत्री के यहां आने से अद्वैत आश्रम मायावती को राष्ट्रीय पहचान मिलेगी।

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