नेपाल के पूर्व गृह मंत्री रबी लामिछाने के खिलाफ ‘अन्यायपूर्ण मुकदमे’ के विरोध में उठ रही आवाज

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सहकारी निधियों के गबन की जांच के लिए 19 अगस्त को गिरफ्तार किए गए रबी लामिछाने की हिरासत कई बार बढ़ाई गई है और उन पर अन्य आरोपों की भी जांच की जा रही है। जिस पर जनता और संस्थाओं का कहना है कि यह उनके खिलाफ राजनीतिक बदले की कार्रवाई है।
राजनीतिक नेताओं और सिविल सोसायटी के सदस्यों ने रबी लामिछाने पर पुलिस हिरासत में हुए अत्याचार’ को लेकर चिंता व्यक्त की है। लामिछाने को 19 अगस्त को सहकारी निधियों के गबन के आरोप में गिरफ्तार किया गया था और उन्हें पोखरा (कास्की) ले जाया गया। जांच के लिए उनके बयान दर्ज करने के लिए उन्हें विभिन्न जिलों – रूपंदेही, काठमांडू, चितवन आदि ले जाया गया।

लामिछाने 2022 में एमाले और माओवादी केंद्र द्वारा नेतृत्व किए गए गठबंधन और 2024 में माओवादी केंद्र और सीपीएन-एमाले के गठबंधन सरकार में गृह मंत्री थे। हालांकि पूर्व गृह मंत्री के सहकारी निधियों के घोटाले में कथित संलिप्तता की खबरें पहले से सामने आई थीं, लेकिन सीपीएन-एमाले और माओवादी केंद्र दोनों ने लामिछाने का बचाव किया और राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (आरएसपी) को अपने गठबंधन में शामिल किया, उन्हें गृह मंत्रालय का प्रभार सौंपते हुए।

उनके खिलाफ लगाए गए वर्तमान आरोपों में से कोई भी उनके गृह मंत्री के दो कार्यकाल के दौरान सत्ता के दुरुपयोग और अनियमितताओं से संबंधित नहीं है। ये आरोप उस समय के हैं जब लामिछाने एक टेलीविजन शो के प्रस्तोता थे और गैलेक्सी 4K टीवी चैनल से जुड़े हुए थे, जिसे गोरखा मीडिया नेटवर्क प्रा. लि. द्वारा चलाया जाता था। इस कंपनी में लामिछाने प्रबंध निदेशक थे और उनके पास 15 प्रतिशत हिस्सेदारी थी, जिसे वे ‘स्वेट शेयर’ बताते रहे हैं।

राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (आरएसपी), जिसे लामिछाने ने 2022 में आम चुनावों से पहले स्थापित किया था, उनका कहना है कि उनकी गिरफ्तारी नेपाली कांग्रेस और सीपीएन-एमाले द्वारा राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा है।

ज्यादातर गैर-राजनीतिक पृष्ठभूमि के सदस्यों वाली आरएसपी ने कुछ महीनों के चुनाव प्रचार में ही 21 सीटें जीतकर संघीय संसद में चौथी सबसे बड़ी ताकत के रूप में उभर कर गठबंधन सरकारों में प्रभावशाली भूमिका निभाई।

लामिछाने को सहकारी घोटाले की जांच के लिए गिरफ्तार किया गया था, लेकिन जांच के दौरान उन पर मनी लॉन्ड्रिंग और संगठित अपराध जैसे अन्य मामलों में भी कार्रवाई शुरू की गई। आरएसपी का कहना है कि यह उन्हें परेशान और मानसिक रूप से प्रताड़ित करने के लिए किया जा रहा है।

तो वही आरएसपी के कार्यकर्ता लामिछाने के खिलाफ ‘राजनीतिक प्रेरित मुकदमेबाजी’ का विरोध कर रहे हैं।

लामिछाने को चितवन की हिरासत से अचानक पोखरा स्थानांतरित कर दिया गया। आरएसपी का आरोप है कि ऐसा बिना पूर्व सूचना, कानूनी परामर्श का अवसर और पर्याप्त विश्राम दिए बिना किया गया। आरएसपी ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) और अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों से हस्तक्षेप की अपील की है, जिसमें नेपाल के संवैधानिक अधिकारों और अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार प्रतिबद्धताओं का उल्लंघन बताया गया है, जिसमें “1984 की यातना और अन्य क्रूर, अमानवीय, अपमानजनक व्यवहार या सजा के खिलाफ कन्वेंशन” शामिल है।

लामिछाने की निजी डायरी, जो उन्होंने हिरासत के दौरान लिखी थी, कथित तौर पर पुलिस द्वारा जब्त कर ली गई है।

इस बीच राजनीतिक नेताओं और टिप्पणीकारों ने लामिछाने की लंबी हिरासत पर सवाल उठाए हैं। पिछले हफ्ते, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी नेपाल के नेता और पूर्व विदेश मंत्री कमल थापा ने कहा कि सरकार लामिछाने के खिलाफ मुकदमे को अनावश्यक रूप से लंबा खींच रही है। उन्होंने कहा, “जांच को अनावश्यक रूप से खींचना, नए आरोप और मामले जोड़ना और उन पर मानसिक प्रताड़ना करना सरकार की मंशा पर सवाल उठाता है।”

शुक्रवार को प्रमुख पत्रकार विजय कुमार पांडे ने एक्स (ट्विटर) पर प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को टैग करते हुए लामिछाने के मामले में मानवाधिकारों के सम्मान की अपील की।

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. बाबूराम भट्टराई ने कहा, “सरकार लामिछाने को बार-बार परेशानी में डाल रही है। इसमें बदले की भावना नजर आती है।”

संवैधानिक वकील डॉ. भीमरजुन आचार्य ने लामिछाने के स्थानांतरण को ‘कानून के शासन का मजाक’ बताया।

वरिष्ठ पत्रकार संजीव सत्गैंया ने कहा, “मुख्यधारा की मीडिया ने अदालत के फैसले से पहले ही लामिछाने को दोषी ठहराना शुरू कर दिया है, जो मीडिया की बुनियादी जिम्मेदारी की असफलता दर्शाता है।”
प्रबासी नेपाली सम्पर्क मञ्च (पञ्जि) भी इस मामले मे सुरुवात से विरोध जता रही है।

तो वही भारत में भी नेपाल मूल के लोगों की हक हित के लिए कार्य करने वाली संस्था प्रबासी नेपाली सम्पर्क मञ्च के अध्यक्ष का कहना है कि ” यह कार्य एक सोची सम्झी रणनीति के तहत रबि लामिछाने को फसाने और उनका मनोबल गिराने के लिए, और विश्व मानवअधिकार के विरुद्ध कार्यवाही करने का आरोप लगाते हुए संस्था ने इस कार्य की घोर भ्रस्तना की है।”

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